‘स्वास्थ्य क्षेत्र का स्‍वास्‍थ्‍य सुधारना जरूरी’

‘स्वास्थ्य क्षेत्र का स्‍वास्‍थ्‍य सुधारना जरूरी’

देश के स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र के स्‍वास्‍थ्‍य को सुधारना पहले जरूरी है। स्थिति ये है कि देश में डॉक्‍टरों की गंभीर कमी है जबकि इस क्षेत्र में अन्‍य कई तरह मानव संसाधनों की कमी भी गंभीर मुद्दा है। स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र के सामने मुंह बाए खड़ी इन चुनौतियों से निबटने के लिए निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र को मिलजुल कर काम करने की जरूरत है। इस आशय के विचार मंगलवार को उद्योग मंडल फ‍िक्‍की द्वारा आयोजित ‘फ‍िक्‍की-हील 2019- हेल्थ ऑफ हेल्थकेयर इन इंडिया’ कार्यक्रम में वक्‍ताओं ने व्‍यक्‍त किए।

कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि‍ नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने इस अवसर पर कहा कि देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए डाक्टरों की कमी समेत मानव संसाधन की चुनौतियों का समाधान अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच भागीदारी होनी चाहिए। पॉल ने दावा किया कि वर्तमान सरकार का कार्यकाल 2024 में खत्‍म होने तक 1,000 आबादी पर एक डॉक्टर का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पॉल ने कहा ‘आज हम जो सबसे बड़ी समस्या देख रहे हैं, वह मानव संसाधनों की सही संख्या, सही गुणवत्ता, कुशलता और सही वितरण की है। देश में डॉक्टरों और विशेषज्ञों की कमी है। सबसे बड़ी समस्या विशेषज्ञों की कमी की है। इसके लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी जरूरी है। मानव संसाधनों की कमी को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच मजबूत भागीदारी के जरिये इस अंतर को पाटा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के साथ निजी कंपनियों का समूह चिकित्सा कॉलेज स्थापित कर सकता है। पूर्व में केवल एक कंपनी ही मेडिकल कॉलेज स्थापित कर सकती थी। पॉल ने कहा कि लेकिन मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए पहले एक अच्‍छा अस्‍पताल चलाना जरूरी है। इसीलिए पहले बेहतर अस्पताल चलाएं, उसके बाद मेडिकल कॉलेज का निर्माण करें।

इस मौके पर उन्‍होंने भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना के बारे में भी बात की। उन्‍होंने कहा कि ‘आयुष्मान भारत की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसने ‘एक भारत, एक देश, एक स्वास्थ्य क्षेत्र स्थापित किया है। निजी-सार्वजनिक क्षेत्र के बीच सीमा मिट गयी है।’

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अगले चार-पांच साल में 75 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने पर काम कर रही है और इसमें ज्यादातर का निर्माण निजी और सरकारी क्षेत्र के सहयोग से होगा।

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